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उपवास

उपवास की प्रथा जैसे हर धर्म में प्रचलित है, वैसे ही हिन्दू धर्म में है। विज्ञान द्वारा यह साबित हुआ है की उपवास से शरीर का विषहरण होता है व मन निर्मल हो जाता है। शरीर हलका लगने लगता है और मन शिथील लगता है, क्योंकि तनाव मिट जाता है। पर इसका मतलब दिमाग सुस्त पद जायेगा यह न होकर, उसकी सतर्कता बढ़ना है। इस स्थिति में प्रार्थना और ध्यान का उत्तम अभ्यास हो सकता है; यही उपवास का मूल लक्ष्य है। उसूलों के अनुसार 

 

‘उपवास’ शब्द का अर्थ है की अन्नपान ऐसे करना की पेट के अम्लीय द्रव्य उत्तेजित न हों, न की पेट खाली रखना। उपवास की प्रथा जैसे हर धर्म में प्रचलित है, वैसे ही हिन्दू धर्म में है। विज्ञान द्वारा यह साबित हुआ है की उपवास से शरीर का विषहरण होता है व मन निर्मल हो जाता है। शरीर हलका लगने लगता है और मन शिथील लगता है, क्योंकि तनाव मिट जाता है। पर इसका मतलब दिमाग सुस्त पद जायेगा यह न होकर, उसकी सतर्कता बढ़ना है। इस स्थिति में प्रार्थना और ध्यान का उत्तम अभ्यास हो सकता है; यही उपवास का मूल लक्ष्य है। उसूलों के अनुसार ‘उपवास’ शब्द का अर्थ है की अन्नपान ऐसे करना की पेट के अम्लीय द्रव्य उत्तेजित न हों, न की पेट खाली रखना।

 

यह प्रक्रिया हमें एकाग्रता बढ़ने एवं शरीर की प्राकृतिक गति बढ़ाये रखने में सहायता करती है। इसके द्वारा मन लालच, कामवासना, व्यग्रता, और कोपभवना जैसी नकारात्मक भावनाओं से मुक्ति पाता है, और हम आलस, तंद्रावस्था, जो ज्यादा खाने से फैलता है।

 

व्रत हलके बंधनों से लेकर अति-परिहार तक किया जा सकता है। इस वक्त को पेट शोधन के लिए इस्तेमाल करता है। उपवास के कई और लाभ हैं: उष्म तत्वों का प्रतिबन्ध, हृदयविकारों से बचाव, मधुमेह का घटना, प्रतिरक्षा विकारों से रक्षा, इत्यादि।

 

किंतु व्रत खोलने के लिए खाद्य पदार्थों का चुनाव बड़ा महत्त्वपूर्ण है; यदि व्रत रात में खुल रहा हो, तो ऐसे पदार्थ ग्रहण करें  जो संतुलन बनाये रखने में सहायता करें, न की वो जो ऊर्जा बढ़ाएं (कार्बोहाइड्रेट-युक्त खाना न खाएँ)। व्रतों में खाद्य प्रतिबन्ध विविध प्रकार के होते हैं, जैसे फलाहार या मौसमी पदार्थों का पान करना।

 

उपवास सभी वयोवर्गों के लिए विवृत है, परंतु नन्हे जवान तन को कार्बोहाइड्रेट की छोटे अंतरालों में ज़रूरत होती है, इसी वजह से रीत-रिवाज़ बालकों को व्रतों से वर्जित करते हैं। वैज्ञानिक सलाह देते हैं की मधुमेह पीड़ित व्यक्ति और गर्भवती स्त्रियाँ सावधानी बरतें और १५-१६ घंटों से ज़्यादा के व्रतों से परहेज़ करें।

 

टिपणी: जिस दिन उपवास रखना है, वो तिथि अगर २ तरीखोमे बटजाये तो, जिस दिन तिथि सूर्योदय के समय पर
कार्यरथ हो उस दिन उपवास रखना चाहि।

 

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