रक्षाबंधन
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: ।
तेन त्वाम् अभिबद्धनामि रक्षे मा चल मा चल॥
इस मंत्र का उच्चारण रक्षाबंधन विधि के समय किया जाता है। इस वर्ष रक्षाबंधन ११ अगस्त, गुरुवार के दिन मनाया जायेगा।
इसका अर्थ हम कुछ इस प्रकार ले सकते हैं कि “जिस रक्षा सूत्र से दानवराज महाबली को धर्मचक्र से बांधा गया, उसी रक्षा सूत्र से मैं तुम्हे धर्म पालन के लिए वचनबद्ध करती हूँ।”
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते की प्रशंसा में मनाया जाता है। सगे नहीं तो विस्तृत परिवार, याने चचेरे, ममेरे, मौसेरे बंधुओं को, या मुंहबोले भाईओं को राखी बाँधी जाती है। परंतु इतिहास कुछ ऐसे भी उदहारण देता है जहाँ यह सूत्र पत्नी पति को या सखी मित्र को बांधती हो।
उनमें से एक है इंद्र और शची (इन्द्राणी)। पुराणों के हिसाब से पहली राखी भाई को नहीं बल्कि पति को बाँधी जाती है। देव-असुर युद्ध के दौरान शची ने कृष्ण से अपने पति की सुरक्षा हेतु सलाह मांगी। उन्होंने शची को इंद्रा की कलाई पर बाँधने के लिए एक पवित्र सूत्र दिया जो सदैव उन्हें संकटों से दूर रखेगा।
महाभारतानुसार, जब कृष्ण की अंगुली पर छोटी लगी तब द्रौपदी ने तुरंत अपने वस्त्र से टुकड़ा फाड़ कर जख्म पर बाँधी। अपनी सखी के ममताभाव से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें संरक्षण का वचन दिया। हम सभी जानते हैं, जब धृतराष्ट्र के दरबार में दुःशासन ने क्रूरता से द्रौपदी का चीरहरण करने की कोशिश की तब कृष्ण ने अपना वचन पूरा किया।
विष्णु पुराण नुसार, भगवन विष्णु के भक्त दानवराज बलि ने उनका संरक्षण चाहा। विष्णु ने उसकी प्रार्थना सुनी और द्वारपाल के वेश में उसके साथ रहे। अपने पति की राह देखती लक्ष्मीदेवी आखिर बलिराज के पास गईं और श्रवण के पावन महीने में उसे रंगीला सूत्र बाँध सुरक्षा का वचन और शुभकामनाएँ दीं। तब राजा ने उनकी इच्छा पूरी करने का वचन दिया, और यूँ वह श्री विष्णु को बंधनमुक्त कर वैकुंठ लौट गईं।
कुछ ऐसे ही सिकंदर की रानी रुखसाना ने राजा पुरु को राखी भेज अपने शौहर को हानि न पहुंचने का अनुरोध किया। चित्तोड़ के राणा सांगा की विधवा रानी कर्णावती ने हुमायुँ राखी भेज बहादुर शाह के हमले से बचाव की याचना की थी। सिख साम्राज्य के संस्थापक महाराजा रणजीत सिंग की पत्नि महारानी जिंदन ने नेपाल के शासक को राखी भेजी थी। जब उनका राज्य अंग्रेज़ों की चपेट में आ गया तब जंग बहादुर ने उन्हें नेपाल में आश्रय दिया था।
इन किस्से-कहानियों का तात्पर्य यह कि श्रावण की शुद्ध पौर्णिमा के अवसर पर बंधा जाने वाले इस धागे का सामर्थ्य सिद्ध है, एक व्यक्ति ने सुरक्षा का वचन माँगना और दूसरे ने उस वचन को निभाना।
Contact
Home Address
Phone No. : 91+ 749 9846 591
Email: mrunal@vedikastrologer.com
Address: Plot D-2, Telco Soc no 14, Sector 24, Kanch ghar chowk, Pradhikaran, Nigdi, Pune 411044
Office Address
Address: Shop no. 20 A, Vision Plus, Datta Nagar Rd, Block B6, Datta Nagar, Transport Nagar, Nigdi, Pimpri-Chinchwad, Maharashtra 411044.
Map
Disclaimer: Astrological services are based on information given by clients and the Astrologer (author) is not liable and responsible for any correctness of analysis or any loss occurred due to the analysis as the same is given basis on the planet status as of the day of prediction.
Copyright © 2024 Vedik Astrologer | Powered by MI Tech Solutions