भाग ६ - गण कूट (गुण मिलन)
गण कूट यह अष्टकूट के ३६ में से अधिकतम ६ गुण प्रदान कर सकता है। कुल ३ गण होते हैं: देव गण, मनुष्य गण, एवं राक्षस गण। प्रति नक्षत्र एक गण निश्चित होता है; २७ में से ९ नक्षत्र देव गण के हैं, ९ मनुष्य के और उसी प्रकार ९ राक्षस गण के। व्यक्ति का गण उसके जन्म कुंडली मेसे चंद्र नक्षत्र को दिए गण पर निर्भर है।
देव गण: यह व्यक्ति विनम्र, उदार, शिष्ट और नेक दिल स्वाभाव का होगा, रीति-रिवाज़ों का मान रखेगा, परोपकार का मान करेगा, तथा कलह और झगड़ों से दूर रहना पसंद करेगा, इर्षा से परहेज़ होगा।
मनुष्य गण: इंसान भौतिक सुखवस्तुओंसे से घिरा हुआ है, वह स्वार्थी है, इस वजह से मनुष्य गण का व्यक्ति मिश्र स्वाभाव का होगा; कभी बहुत दयालु और विनम्र, और कभी रूखा और असभ्य। वह धार्मिक एवं रचनात्मक भी होगा। ऐसा ज़रूरी नहीं की वह सभी नियमों का पालन करे।
राक्षस गण: यह इंसान के गूढ़ पहलु को दर्शाता है। राक्षस गण की व्यक्ति ज़िद्दी, खुदगर्ज़ी और कठोर स्वाभाव की होगी, लढाई शुरू करने की प्रवृत्ति रखेगा, परंतु उसका प्रतिभज्ञान मज़बूत होगा। आवश्यक नहीं की इन गुणों वाला व्यक्ति बुरे स्वाभाव की हो।
नीचे दिए गए तख्ते की सहायता से हम वधु और वर के गण मिला सकते हैं:
देव गण और मनुष्य गण जो गुण विशेषताएँ दर्शाते हैं, वह कुछ मात्रा में समान हैं और एक दूसरे के लिए पूरक हैं। इस कारण यह मिश्रित जोड़ी शुभ मानी जाती है। राक्षस गण जिन गुणों के समूह को दर्शाता है वह देव गण और मनुष्य गण से नहीं मिलते, या हूं कह सकते हैं की उनके गुण आपस में विकर्षक हैं।
इस वजह से राक्षस गण का देव गण या मनुष्य गण से मिलना अशुभ माना जाता है। वधु और वर के व्यक्तिमत्व यदि बहुत अलग हों तो वह उनमें विरोधक बन सकता है, और इस गण दोष के हेतु विवाह पर गहरा प्रभाव पड सकता है, सिवाय उस परिस्थिति में जहाँ कुंडली में सुधारक शक्तियाँ हों।
जब कोई गण अपने आप से ही मिलाया जाता है, यानी देव-देव, मनुष्य-मनुष्य, राक्षस-राक्षस, तब वह ६ गुण देता है। जब वधु मनुष्य गण की हों और वर देव गण का हों, तब भी ६ गुण दिए जाते हैं।
पर यदि वधु देव गण की हों और वर मनुष्य गण का, तो उन्हें ५ ही गुण मिलेंगे।
यदि वधु और वर में से एक राक्षस गण का हों और दूसरा देव गण का हों तो ६ में से १ ही गुण दिया जाएगा।
राक्षस गण का वर देव अथवा मनुष्य गण की वधु के साथ जोड़ा जाए तो १ गुण भी नहीं दिया जाएगा, परंतु अगर वधु भी राक्षस गण की हों तो पूरे अंक मिलेंगे।
क्या इस दोष के कारण क्या विवाह रद्द कर देना होगा?
गण कूट दोष निजी पसंदें, व्यवहार, और विशेषताओं में भेद होने का संकेत है। यह शायद दांपत्य में निराशा, मतभेद, और विवाद का कारण बन सकता है। संक्षिप्त में कहा जाए तो गण कूट दोष हो, तो दांपत्य का वैवाहिक जीवन को शांति और सद्भावपूर्वक नहीं लगेगा।
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